
अगले दिन सुबह अर्जुन नींद से जल्दी उठ गया। रात भर मन में भरी घबराहट और सवाल अभी भी जस-के-तस खड़े थे। उसने तुरंत अपने टीचर को कॉल किया और सारी बातें बता दीं। टीचर ने शांत, संभालने वाले स्वर में कहा,
“अर्जुन, तुम जहाँ पहुँचे हो… यह तुम्हारी ही मेहनत का फल है। किसी ने तुम्हारे हाथ में कुछ जबरदस्ती नहीं थमाया है। डर मत। तुम सही जगह हो।”
उनकी आवाज़ में जो स्नेह था, वह अर्जुन के दिल को थोड़ा हल्का कर गया। पर उसके मन की जिज्ञासा अभी भी बनी रही। उसने झिझकते हुए पूछा—
“सर, कोचिंग का कोई अपडेट नहीं मिला… अब क्या करना चाहिए?”




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