अनदेखे शहर में अर्जुन का अनसुना संघर्ष
बारहवीं पास करने के बाद अर्जुन शर्मा अपने छोटे से शहर को पीछे छोड़कर एक नए और अनजान शहर में कदम रखता है—उम्मीदों से भरा, पर अंदर कहीं डर की एक हल्की चुभन लिए हुए। यहाँ न कोई अपना चेहरा है, न कोई जानने वाला हाथ… बस तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी, छिपी हुई परछाइयाँ और ऐसे मोड़, जिनका अंदाज़ा उसे कभी नहीं था। कहानी अर्जुन के उस सफ़र की है जहाँ खुशी की झिलमिल रोशनी भी है और अंधेरी गलियों का रहस्य भी। जहाँ दोस्ती मुस्कान देती है, और धोखे दिल की धड़कन रोक देते हैं। जहाँ सपने जगते हैं, पर ख़तरे उनके साथ-साथ चलते रहते हैं। थोड़ा साहस, थोड़ा डर… थोड़ी हँसी, थोड़ा सन्नाटा—और इनके बीच अर्जुन का हर कदम उसे एक नई सच्चाई, एक नई लड़ाई, और एक नई पहचान की ओर धकेलता जाता है। यह सिर्फ़ नया शहर नहीं—यह अर्जुन की आत्मा का इम्तिहान है। और यह संघर्ष… अनसुना था, लेकिन अब कहानी बन चुका है।






