
अगला दिन—सोमवार।
सुबह हमेशा की तरह जल्दी उठकर अर्जुन कोचिंग जाने की तैयारी करता है। चेहरे पर हल्की-सी नींद, पर भीतर एक अजीब-सी उम्मीद… शायद आज कुछ नया हो। नाश्ता करने वह कैंटीन की ओर बढ़ता है। सादा-सा नाश्ता करके वह बाहर सड़क तक आता है और ऑटो का इंतज़ार करने लगता है।
करीब पाँच मिनट बाद एक ऑटो रुकता है और अर्जुन उसमें बैठ जाता है। आज उसके माता-पिता शहर आने वाले थे, पर समय तय नहीं बताया था। यही सोचते-सोचते वह रास्ते भर खिड़की के बाहर देखता रहा—कब आएंगे, कैसे मिलेंगे, क्या-क्या बातें होंगी…।




![Life Interrupted [With Audio Narration]](https://sk0.blr1.cdn.digitaloceanspaces.com/sites/66972/posts/1411213/IMG20251213123835.png)
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